Raipur, April 2025 — एम्स रायपुर ने अंग प्रत्यारोपण चिकित्सा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए न सिर्फ छत्तीसगढ़ में बल्कि नई एम्स संस्थाओं में पहली बार सफल किडनी पेयर डोनेशन (KPD) ट्रांसप्लांट किया है। यह मील का पत्थर उन लाखों मरीजों के लिए उम्मीद की किरण है, जो अंतिम चरण के गुर्दा रोग (ESRD) से जूझ रहे हैं और उनके पास जीवित लेकिन असंगत रक्त समूह वाले दाता होते हैं। 🔄 क्या होता है स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट? स्वैप या पेयर किडनी ट्रांसप्लांट उस स्थिति में किया जाता है जब कोई मरीज अपने रिश्तेदार से किडनी तो प्राप्त कर सकता है, लेकिन ब्लड ग्रुप या HLA असंगति के कारण ट्रांसप्लांट संभव नहीं होता। इस स्थिति में दो या अधिक जोड़े, जिनके बीच असंगति है, आपसी सहमति से अंगों का आदान-प्रदान कर सकते हैं ताकि संगतता सुनिश्चित हो सके। 👨⚕️ दो मरीजों की जिंदगी में लौटी उम्मीद इस प्रक्रिया के तहत बिलासपुर के दो ESRD मरीज, जिनकी उम्र 39 और 41 वर्ष है, पिछले तीन वर्षों से डायलिसिस पर थे। दोनों की पत्नियाँ किडनी दान देने के लिए आगे आईं, लेकिन ब्लड ग्रुप मैच नहीं होने से प्रत्यारोपण संभव नहीं था। एक जोड़े का ब्लड ग्रुप B+ और O+ था, जबकि दूसरे का O+ और B+। एम्स रायपुर की टीम ने स्वैप ट्रांसप्लांट की योजना बनाई और 15 मार्च 2025 को दोनों सफल ऑपरेशन्स को अंजाम दिया गया। फिलहाल सभी मरीज और दाता ICU में निगरानी में हैं और स्वस्थ हैं। 💡 क्या बोले विशेषज्ञ? डॉ. विनय राठौर, ट्रांसप्लांट फिजिशियन ने कहा: “भारत में लगभग 40-50% किडनी दाता HLA या ब्लड ग्रुप असंगति के कारण रिजेक्ट हो जाते हैं। स्वैप ट्रांसप्लांट ऐसे मरीजों के लिए जीवनदायिनी प्रक्रिया है।” डॉ. अमित शर्मा, यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष ने बताया: “इस प्रक्रिया के लिए महीनों की तैयारी, चार ओटी, चार एनेस्थेटिस्ट और चार ट्रांसप्लांट सर्जन की एक साथ व्यवस्था करना होता है ताकि दोनों ऑपरेशन्स एक साथ हो सकें।” 👩⚕️ स्वैप ट्रांसप्लांट टीम: 🏗 भविष्य की योजनाएं लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (से.नि.), कार्यकारी निदेशक एवं CEO, एम्स रायपुर ने टीम को बधाई देते हुए कहा कि जल्द ही 20 बिस्तरों की रीनल ट्रांसप्लांट यूनिट शुरू की जाएगी, जिससे छत्तीसगढ़ में ट्रांसप्लांट सेवाएं और बेहतर होंगी। उन्होंने अपील की कि गंभीर मरीज ही एम्स रायपुर आएं ताकि विशेषज्ञ टीम उनका सर्वोत्तम उपचार कर सके। 📌 नोट: हाल ही में 16 अप्रैल 2025 को NOTTO ने सभी राज्यों को स्वैप ट्रांसप्लांट प्रक्रिया को लागू करने की सिफारिश की है, ताकि असंगत दाताओं के बावजूद भी मरीजों को जीवन रक्षक इलाज मिल सके।