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इसराइली हमले में हुसैन सलामी की मौत के बाद ईरान ने IRGC का नया प्रमुख नियुक्त किया, जवाबी कार्रवाई के आदेश

तेहरान। इसराइल द्वारा किए गए ताज़ा हमले में ईरान रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कमांडर-इन-चीफ हुसैन सलामी की मौत के बाद ईरान ने तेज़ी से नया नेतृत्व नियुक्त कर दिया है। IRGC की कुद्स फोर्स के पूर्व प्रमुख जनरल वाहिदी को नया कमांडर-इन-चीफ नियुक्त किया गया है। नियुक्ति के साथ ही जनरल वाहिदी ने हमले का जवाब देने के आदेश जारी कर दिए हैं। ईरान रिवॉल्यूशनरी गार्ड के आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल से यह जानकारी साझा की गई। पोस्ट में जनरल वाहिदी ने इस हमले को “राष्ट्रीय संप्रभुता पर सीधा हमला” बताया और कहा कि “इसका माक़ूल जवाब दिया जाएगा।” ईरानी सरकारी मीडिया के अनुसार, इसराइली हमले में अब तक कम से कम पांच शीर्ष अधिकारी मारे जा चुके हैं, जिनमें IRGC प्रमुख हुसैन सलामी, ख़तम-अल अंबिया केंद्रीय मुख्यालय के कमांडर घोलमअली रशीद, और ईरान के चीफ़ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी शामिल हैं। इसके अलावा ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन के पूर्व प्रमुख फिरेदून अब्बासी और तेहरान स्थित इस्लामिक आज़ाद विश्वविद्यालय के अध्यक्ष और परमाणु वैज्ञानिक डॉ. मोहम्मद मेहदी तेहरानची की भी इस हमले में मौत की पुष्टि हुई है। ईरान और इसराइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच यह हमला और जवाबी चेतावनी पश्चिम एशिया में एक नए टकराव की आशंका को और गहरा कर रही है। क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियों की नज़र अब इस बात पर टिकी है कि ईरान किस प्रकार और कब इस हमले का बदला लेता है।

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ब्रिटेन में यौन अपराधियों को बनाया जाएगा ‘नपुंसक’, जेलों की भीड़ से निपटने के लिए उठाया गया हैरान करने वाला कदम

लंदन।ब्रिटेन सरकार ने यौन अपराधियों पर नियंत्रण पाने और जेलों में भीड़ कम करने के उद्देश्य से ‘केमिकल कास्ट्रेशन’ (रासायनिक बंध्याकरण) योजना लागू करने का फैसला लिया है। इसके तहत यौन अपराधियों को ऐसी दवाइयां दी जाएंगी, जिससे उनकी यौन इच्छाएं नियंत्रित हो जाएं।सरकार का मानना है कि इससे दोबारा अपराध करने की संभावना घटेगी और जेल व्यवस्था पर दबाव कम होगा। 20 जेलों में शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट, विचार अनिवार्यता पर भी ब्रिटेन की न्याय मंत्री शबाना महमूद ने संसद में जानकारी दी कि यह योजना प्रारंभिक तौर पर 2 क्षेत्रों की 20 जेलों में शुरू की जाएगी। सरकार इसे अनिवार्य बनाने पर भी विचार कर रही है।उन्होंने कहा, “यह जरूरी है कि इस प्रक्रिया के साथ-साथ अपराधियों को मानसिक इलाज भी मिले, ताकि उनके अपराध की जड़ में मौजूद ‘ताकत और नियंत्रण की चाहत’ को भी खत्म किया जा सके।” केमिकल कास्ट्रेशन: क्या है और कितनी है कारगरता? ‘केमिकल कास्ट्रेशन’ में अपराधियों को ऐसी दवाएं दी जाती हैं, जो टेस्टोस्टेरोन स्तर को घटा देती हैं और उनकी यौन इच्छाओं को दबा देती हैं।हालांकि यह तरीका उन अपराधियों पर ज्यादा प्रभावी नहीं होता, जो यौन अपराध को ‘पावर और कंट्रोल’ के माध्यम से अंजाम देते हैं। फिर भी अध्ययनों के अनुसार, इससे 60% तक दोबारा अपराध की दर में गिरावट देखी गई है। यह तरीका जर्मनी और डेनमार्क में स्वैच्छिक, जबकि पोलैंड में कुछ अपराधियों के लिए अनिवार्य रूप से लागू किया गया है। पुरानी सरकार पर हमलावर हुईं शबाना महमूद शबाना महमूद ने इस योजना की पृष्ठभूमि में बताया कि यह पूर्व न्याय मंत्री डेविड गॉक की अगुवाई वाली समीक्षा का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य था जेल व्यवस्था को सुधारना और अपराध दर को कम करना। उन्होंने पिछली कंजर्वेटिव सरकार पर आरोप लगाया कि उसने न्याय व्यवस्था को लंबे समय तक नजरअंदाज किया, जिसकी वजह से जेलों में अत्यधिक भीड़ हो गई है।उन्होंने चेताया कि अगर जेलों में जगह नहीं बची, तो पुलिस को गिरफ्तारियां रोकनी पड़ेंगी और अपराधी खुलेआम घूमते रहेंगे। सिफारिशें: कम सजा वालों को रिहाई, विदेशी अपराधियों को निर्वासन समीक्षा रिपोर्ट में अन्य सिफारिशें भी की गई हैं: हालांकि, कंजर्वेटिव पार्टी के प्रवक्ता रॉबर्ट जेनरिक ने चेतावनी दी कि इससे चोरी और हमले जैसे अपराध ‘गंभीरता’ की श्रेणी से बाहर हो सकते हैं। जेलों की स्थिति: 90,000 कैदियों से जूझता ब्रिटेन ब्रिटेन की जेलों में बंद कैदियों की संख्या पिछले 30 वर्षों में दोगुनी हो चुकी है और अब यह आंकड़ा 90,000 के करीब पहुंच चुका है, जबकि अपराध की दर में गिरावट आई है।शबाना महमूद ने कहा, “हमने 19वीं सदी के बाद जेलों का सबसे बड़ा विस्तार शुरू किया है और साथ ही अपराधियों के पुनर्वास पर भी जोर दे रहे हैं।”

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रूस में बाल-बाल बचा भारतीय सांसदों का प्रतिनिधिमंडल, फ्लाइट की लैंडिंग से ठीक पहले हुआ ड्रोन हमला

मॉस्कोऑपरेशन सिंदूर के तहत अंतरराष्ट्रीय संपर्क अभियान पर रूस पहुंचे भारतीय सांसदों का प्रतिनिधिमंडल एक बड़े हादसे से बाल-बाल बच गया। डीएमके सांसद कनिमोझी के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल गुरुवार रात मॉस्को पहुंचा, लेकिन लैंडिंग से ठीक पहले रूसी हवाई क्षेत्र में ड्रोन हमले शुरू हो गए। हालांकि पायलट की सतर्कता और रूस के एयर ट्रैफिक कंट्रोल की निगरानी में विमान को करीब 45 मिनट तक हवा में चक्कर लगाना पड़ा, जिसके बाद फ्लाइट सुरक्षित रूप से डोमोडेडोवो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतर सकी। ऑपरेशन सिंदूर के बाद विदेश दौरे पर भारतीय सांसद ऑपरेशन सिंदूर भारत द्वारा पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के ठिकानों पर किया गया एक विशेष सैन्य अभियान है।इस अभियान के बाद भारत ने दुनियाभर में आतंकवाद के खिलाफ माहौल तैयार करने और सहयोग जुटाने के उद्देश्य से पांच देशों में सांसदों का प्रतिनिधिमंडल भेजा। इसी क्रम में डीएमके सांसद कनिमोझी के नेतृत्व में भारत का यह पहला बहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडल रूस पहुंचा, जिसका मकसद सीमा पार आतंकवाद पर वैश्विक समुदाय को जागरूक करना है। लैंडिंग से पहले ड्रोन अटैक, बाल-बाल बचे सांसद कनिमोझी के करीबी सूत्रों ने बताया कि “फ्लाइट को लैंडिंग से पहले आसमान में कई बार चक्कर लगाना पड़ा क्योंकि उस वक्त यूक्रेन की ओर से ड्रोन हमलों की सूचना मिली थी। सुरक्षा कारणों से लैंडिंग को टाल दिया गया। लगभग 45 मिनट की देरी के बाद विमान सुरक्षित लैंड कर गया। सभी सदस्य सुरक्षित हैं।” डोमोडेडोवो एयरपोर्ट पर हुआ गर्मजोशी से स्वागत विमान के सुरक्षित उतरने के बाद भारतीय राजदूत विनय कुमार और अन्य अधिकारियों ने कनिमोझी और प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों का मॉस्को एयरपोर्ट पर स्वागत किया।यह दौरा पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को वैश्विक मंचों पर स्पष्ट और मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है। पृष्ठभूमि: पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर यह दौरा उस समय हो रहा है जब एक महीने पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी।इसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए आतंकी ठिकानों पर करारा हमला किया और अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर समर्थन जुटाने की कोशिश जारी है। निष्कर्ष रूस की राजधानी में भारतीय सांसदों के डेलिगेशन पर संभावित खतरा और उसके बाद की सुरक्षित लैंडिंग ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारत वैश्विक आतंकवाद के मुद्दे को लेकर गंभीर और सशक्त भूमिका निभा रहा है।यह दौरा भारत के कूटनीतिक और सैन्य रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय समर्थन को और मजबूत करेगा।

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लॉन्चिंग के दौरान ही क्षतिग्रस्त हुआ उत्तर कोरिया का महाविध्वंसक युद्धपोत, अधिकारियों पर भड़के किम जोंग उन

सियोल/प्योंगयांग। उत्तर कोरिया के नए और बेहद भारी विध्वंसक युद्धपोत का जलावतरण समारोह एक बड़े हादसे में बदल गया, जब यह समुद्र में उतरते ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। देश के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन इस घटना से बेहद नाराज़ हो गए और उन्होंने इसके लिए सैन्य अधिकारियों, वैज्ञानिकों और शिपयार्ड प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। 5,000 टन वजनी युद्धपोत का जलावतरण समारोह बना हादसा उत्तर कोरियाई नौसेना के लिए तैयार किया गया यह नया 5,000 टन वजनी विध्वंसक युद्धपोत बुधवार को उत्तर-पूर्वी बंदरगाह चोंगजिन में आयोजित एक भव्य समारोह के दौरान समुद्र में उतारा जा रहा था। लेकिन लॉन्चिंग के समय पोत ‘रैंप’ से फिसल गया और फंस गया, जिससे उसका निचला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी KCNA के मुताबिक, हादसे का कारण संतुलन बिगड़ना और तकनीकी खामियां थीं, जिससे युद्धपोत की संरचना को गहरा नुकसान पहुंचा। किम जोंग उन की सख्त प्रतिक्रिया – “यह आपराधिक लापरवाही है” हादसे के समय खुद किम जोंग उन समारोह में मौजूद थे। इस वजह से यह घटना उनके लिए एक बड़ी शर्मिंदगी का कारण बनी। किम ने इसे “गंभीर दुर्घटना और आपराधिक लापरवाही” बताया और कहा कि यह “वैज्ञानिक सोच की कमी” और “गैरजिम्मेदारी” का नतीजा है। उन्होंने तत्काल आपात बैठक बुलाई, जिसमें इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है। जून के अंत तक होगी सत्तारूढ़ पार्टी की विशेष बैठक KCNA की रिपोर्ट के अनुसार, इस विषय पर चर्चा के लिए सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी की केंद्रीय समिति की विशेष पूर्ण बैठक जून के अंत में बुलाई गई है। माना जा रहा है कि इसमें दोषियों के खिलाफ कठोर सजा और सिस्टम में व्यापक सुधार पर फैसला लिया जा सकता है। किम की नौसेना रणनीति को लगा झटका उत्तर कोरिया के लिए यह हादसा सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि रणनीतिक भी है, क्योंकि किम जोंग उन ने हाल ही में नौसेना को अपनी परमाणु सैन्य शक्ति का अभिन्न अंग घोषित किया था। इस नए युद्धपोत को उत्तर कोरिया के सागरीय प्रभुत्व की नई मिसाल के तौर पर पेश किया जा रहा था। दक्षिण कोरिया की सेना ने साधी चुप्पी इस हादसे पर दक्षिण कोरियाई रक्षा मंत्रालय या सेना की तरफ से कोई तत्काल टिप्पणी नहीं आई है। हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि यह उत्तर कोरिया के सैन्य विकास कार्यक्रम की गंभीर कमजोरी को उजागर करता है। निष्कर्ष: तकनीक और तानाशाही की टकराहट उत्तर कोरिया के महाविध्वंसक युद्धपोत की लॉन्चिंग के दौरान हुई यह दुर्घटना इस बात की याद दिलाती है कि तानाशाही में वैज्ञानिक सोच और जवाबदेही किस तरह से दम तोड़ सकती है। किम जोंग उन के गुस्से और प्रतिक्रिया से यह साफ है कि उत्तर कोरिया के भीतर अब बड़ा सैन्य संकट खड़ा हो सकता है।

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ग़ज़ा में रातभर हुए इसराइली हमलों में 15 लोगों की मौत, भुखमरी की कगार पर 20 लाख लोग

ग़ज़ा में हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। मंगलवार रात से शुरू हुए इसराइली हवाई हमलों ने तबाही मचा दी है, जिसमें अब तक कम से कम 15 लोगों की मौत हो चुकी है। हमास द्वारा संचालित नागरिक सुरक्षा सेवा के मुताबिक, इन हमलों में अकेले जबालिया क्षेत्र में 11 लोग मारे गए और 13 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इसके अलावा, दक्षिण ग़ज़ा के खान यूनिस क्षेत्र में हुए दो अन्य हमलों में दो और लोगों की जान गई, जबकि एक अन्य हमले में एक बच्चे सहित दो लोगों की मौत हुई है। फ्रांसीसी समाचार एजेंसी एएफपी ने जानकारी दी है कि रातभर में कुल 19 लोगों की मौत हुई है। इन हमलों ने न केवल जान-माल का नुकसान पहुंचाया है, बल्कि एक पहले से ही चल रहे मानवीय संकट को और गंभीर बना दिया है। भुखमरी की स्थिति: 20 लाख लोगों को भोजन की दरकार ग़ज़ा में इस समय लगभग 20 लाख लोग भुखमरी जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं। बीते 11 सप्ताहों से भोजन की आपूर्ति पूरी तरह से बाधित है। लोग हर दिन भोजन से लदे ट्रकों का इंतज़ार कर रहे हैं, लेकिन मदद अब तक पहुंच नहीं पाई है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर 100 ट्रक भी पहुंचे तो वे भी इस बड़े संकट को हल करने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे। बाजारों की हालत भी चिंताजनक है। ग़ज़ा के बाजार पूरी तरह से खाली हैं। फल, सब्ज़ियां, प्रोटीन युक्त खाद्य सामग्री, मांस और चिकन लगभग खत्म हो चुके हैं। लोग खाने के लिए तरस रहे हैं। अस्पतालों में तेल और दवाइयों की भारी कमी स्वास्थ्य सेवाएं भी पूरी तरह चरमरा गई हैं। अस्पतालों में जेनरेटर चलाने के लिए आवश्यक तेल नहीं है, जिससे जीवनरक्षक मशीनें काम नहीं कर पा रहीं। आवश्यक दवाइयों की भी भारी कमी है। वहीं, पीने योग्य पानी की उपलब्धता भी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। आंकड़ों के मुताबिक, ग़ज़ा में 25 प्रतिशत पानी दूषित है और पीने लायक नहीं है। मानवीय संकट गहराया ग़ज़ा इस समय एक भीषण मानवीय संकट से जूझ रहा है। हर दिन हो रहे हवाई हमले, भोजन और पानी की किल्लत, और स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव—इन सबने मिलकर एक त्रासदीपूर्ण स्थिति पैदा कर दी है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें ग़ज़ा पर हैं, लेकिन ज़मीनी हालात में कोई ठोस सुधार अब तक नहीं दिख रहा है। अगर राहत नहीं पहुंचाई गई, तो यह संकट और भयावह रूप ले सकता है। ग़ज़ा के निवासियों की निगाहें अब सिर्फ़ जीवन रक्षक मदद की ओर टिकी हुई हैं।

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PAK में मारा गया लश्कर आतंकी सैफुल्लाह, हाफ़िज़ सईद ने दी थी छिपने की सलाह

लश्कर-ए-तैयबा का खूंखार आतंकी सैफुल्लाह खालिद आखिरकार अपने अंजाम तक पहुंच गया। रविवार को पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अज्ञात बंदूकधारियों ने सैफुल्लाह को गोली मार दी। बताया जा रहा है कि भारत में कई आतंकी हमलों को अंजाम देने वाले इस आतंकी को लश्कर चीफ हाफ़िज़ सईद ने खुद छिपने की सलाह दी थी। ऑपरेशन सिंदूर का असर? भारत की सेना ने पहलगाम हमले के बाद से “ऑपरेशन सिंदूर” चलाया था, जिसमें सौ से ज़्यादा आतंकियों का खात्मा किया गया। अब सैफुल्लाह की मौत को भी इसी दबाव से जोड़कर देखा जा रहा है। कहां मारा गया सैफुल्लाह? सैफुल्लाह सिंध के बदीन ज़िले के मतली कस्बे में रहता था। रविवार को जैसे ही वह घर से बाहर निकला, कुछ ही दूरी पर फलकारा चौक के पास अज्ञात हमलावरों ने उसे गोली मार दी। मौत के बाद पाकिस्तान ने कबूला पाकिस्तान की सेना ने कभी सैफुल्लाह को अपना नागरिक नहीं माना, लेकिन मौत के बाद उसके जनाजे पर पाकिस्तान का राष्ट्रीय झंडा लपेटा गया। उसे नेशनल सम्मान के साथ दफनाया गया। जनाज़े में शामिल हुए लश्कर आतंकी सैफुल्लाह के जनाजे में सैकड़ों लोग और लश्कर के टॉप कमांडर फैसल नदीम भी शामिल हुए।

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यूक्रेन में रूस का ड्रोन हमला: पैसेंजर बस पर हमला, 9 की मौत

उत्तर-पूर्वी यूक्रेन के सुमी क्षेत्र में रूस के ड्रोन हमले में एक पैसेंजर बस को निशाना बनाया गया, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई और 4 अन्य घायल हो गए। सुमी क्षेत्रीय सैन्य प्रशासन ने शनिवार सुबह बिलोपिलिया शहर के पास इस हमले की पुष्टि की। यह हमला उस वक्त हुआ जब रूस और यूक्रेन ने 2022 के बाद पहली बार शांति वार्ता के लिए सीधे बातचीत की थी। सुमी प्रशासन ने टेलीग्राम पोस्ट में बताया, “बिलोपिलिया के नज़दीक एक दुश्मन ड्रोन द्वारा पैसेंजर बस पर हमला किया गया, जिससे नौ लोगों की मौत और चार घायल हो गए।” अभी तक रूस की सेना ने इस हमले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। तुर्की के इस्तांबुल में शुक्रवार को रूस और यूक्रेन के बीच हुई बातचीत में युद्ध समाप्ति पर कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई, हालांकि दोनों पक्षों ने आने वाले दिनों में एक-दूसरे को 1000 युद्धबंदियों के आदान-प्रदान पर सहमति जताई है। साल 2022 के फरवरी में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू किया था, जो तब से जारी है।

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ट्रंप का एपल को भारत छोड़ने का निर्देश, लेकिन क्या भारत में पैर जमा चुकी कंपनी पीछे हटेगी?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चर्चा में आने वाला बयान दिया है। इस बार निशाने पर है दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक — एपल। ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने एपल के सीईओ टिम कुक से भारत में आईफोन निर्माण बंद करने को कहा है। उनके मुताबिक, भारत एक उच्च टैरिफ लगाने वाला देश है और अमेरिका को इससे कोई फायदा नहीं हो रहा। दोहा में दिया चौंकाने वाला बयान दोहा में एक बिजनेस इवेंट में बोलते हुए ट्रंप ने कहा, “मैंने टिम से कहा कि अगर तुम भारत के बाज़ार के लिए भारत में प्रोडक्शन करना चाहते हो, तो करो, लेकिन अगर अमेरिका के लिए बनाना है तो अमेरिका में ही बनाओ। भारत अपना ख्याल खुद रख सकता है।” ट्रंप का तर्क: “हमने सहा चीन, भारत नहीं” ट्रंप ने यह भी जोड़ा कि अमेरिका ने चीन में एपल की मैन्युफैक्चरिंग को वर्षों तक झेला, लेकिन अब वे चाहते हैं कि अमेरिका को आर्थिक प्राथमिकता दी जाए। उनके मुताबिक, भारत ने अमेरिका को ज़ीरो टैरिफ़ समझौते की पेशकश की है, हालांकि भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि बातचीत अभी जारी है और कोई भी निष्कर्ष अभी तय नहीं हुआ है। क्या एपल सच में भारत छोड़ सकता है? भारत में निवेश बढ़ा रही है एपल एपल ने हाल के वर्षों में भारत में उत्पादन तेज़ी से बढ़ाया है। 2023 में कंपनी ने आईफोन 15 की असेंबली भारत में शुरू की और अब एपल भारत को एक वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में देख रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में निवेश की भी घोषणा टिम कुक ने हाल में बयान दिया था कि कंपनी अगले चार वर्षों में अमेरिका में $500 बिलियन का निवेश करेगी। इससे साफ है कि एपल दोनों देशों में संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है। कूटनीति या दबाव की रणनीति? डोनाल्ड ट्रंप पहले भी व्यापार को कूटनीति का हथियार बता चुके हैं। 2024 में राष्ट्रपति चुनाव के संभावित उम्मीदवार ट्रंप के इस बयान को चुनावी राजनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है। वहीं, विशेषज्ञ मानते हैं कि एपल जैसी वैश्विक कंपनी किसी एक देश के दबाव में रणनीति नहीं बदलती।

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3 साल बाद इस्तांबुल में आमने-सामने होंगे रूस-यूक्रेन, शांति वार्ता पर होगी चर्चा

इस्तांबुल, फरवरी 2022 से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन साल बाद दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल पहली बार प्रत्यक्ष रूप से आमने-सामने बैठने जा रहे हैं। तुर्किये के इस्तांबुल में शुक्रवार को होने वाली इस बैठक में शांति स्थापना की संभावनाओं पर चर्चा होगी। यह वार्ता तुर्किये की मध्यस्थता में हो रही है और इसे एक अहम कूटनीतिक पहल माना जा रहा है, हालांकि युद्ध के तत्काल समाधान की उम्मीदें बेहद सीमित हैं। कौन कर रहा है नेतृत्व? इस वार्ता में यूक्रेन की ओर से रक्षा मंत्री रुस्तेम उमेरोव प्रतिनिधित्व करेंगे, जबकि रूस की ओर से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सहयोगी व्लादिमीर मेदिंस्की शामिल होंगे। यह पहली बार है कि दोनों पक्ष एक ही मंच पर आमने-सामने बैठकर बातचीत करेंगे। इससे पहले वार्ताएं केवल ऑनलाइन या तीसरे पक्ष की मध्यस्थता में हुई थीं। पुतिन ने ज़ेलेंस्की से मुलाकात का प्रस्ताव ठुकराया शांति प्रक्रिया को उस समय झटका लगा जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की से सीधी मुलाकात का प्रस्ताव ठुकरा दिया। विश्लेषकों के मुताबिक ऐसी बैठक की संभावना पहले से ही कम थी, लेकिन अब यह पूरी तरह से समाप्त होती दिख रही है। युद्धविराम पर भी नहीं बनी सहमति अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा प्रस्तावित 30-दिन के युद्धविराम को यूक्रेन ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है, लेकिन रूस ने इस पर कई कठोर शर्तें जोड़कर इसे अस्वीकार कर दिया है। इससे वार्ता की सफलता को लेकर अनिश्चितता और बढ़ गई है। युद्ध का संक्षिप्त इतिहास रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध 24 फरवरी 2022 को शुरू हुआ था। इसमें अब तक हजारों लोगों की जान जा चुकी है और लाखों नागरिक विस्थापित हुए हैं। युद्ध के शुरुआती महीनों में कीव, मारियुपोल, बखमुत और खारकीव जैसे शहर सबसे अधिक प्रभावित हुए। हालांकि इस्तांबुल वार्ता से किसी तत्काल समाधान की उम्मीद नहीं है, लेकिन इसे एक राजनयिक शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है जो भविष्य में स्थायी समाधान की नींव रख सकती है।

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डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा दावा: भारत ने अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ शून्य करने की पेशकश की, एप्पल को भारत में निर्माण से किया मना

दोहा/वॉशिंगटन | 15 मई 2025अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा दावा करते हुए कहा है कि भारत ने अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ को शून्य करने की पेशकश की है, हालांकि इस पर नई दिल्ली की ओर से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह बयान उन्होंने कतर के दोहा में आयोजित एक व्यापार गोलमेज सम्मेलन के दौरान दिया। भारत में व्यापार कठिन: ट्रंप ट्रंप ने कहा, “भारत में बिक्री करना बहुत कठिन है। लेकिन अब उन्होंने हमें एक ऐसा सौदा पेश किया है, जिसके तहत वे मूल रूप से हमसे कोई टैरिफ नहीं वसूलेंगे।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत अमेरिका का एक करीबी साझेदार है और QUAD का हिस्सा है, जिसमें जापान और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं। यह साझेदारी चीन के क्षेत्रीय प्रभाव को संतुलित करने की दिशा में एक अहम क़दम मानी जाती है। एप्पल को भारत में निर्माण से मना किया ट्रंप ने इस दौरान एक और बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि उन्होंने एप्पल के सीईओ टिम कुक से आग्रह किया है कि वे अपने आईफोन का उत्पादन भारत में न करें, बल्कि अमेरिका में ही निर्माण पर फोकस करें। गौरतलब है कि भारत, एप्पल के सबसे बड़े विनिर्माण केंद्रों में से एक बन चुका है।पिछले वित्तीय वर्ष में भारत में 22 बिलियन डॉलर के आईफोन असेंबल किए गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 60 प्रतिशत की बढ़त को दर्शाता है। राजनीतिक और आर्थिक संदेश ट्रंप का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत-अमेरिका व्यापार संबंध और टेक्नोलॉजी साझेदारी अपने चरम पर हैं। लेकिन ट्रंप की यह टिप्पणी अमेरिका में विनिर्माण आधारित राष्ट्रवाद के एजेंडे को फिर से आगे बढ़ाने की कोशिश के तौर पर देखी जा रही है।

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