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Pahalgam Terror Attack: अमेरिकी उप राष्ट्रपति का बयान भारत के लिए कितना अहम? वॉशिंगटन ने पाकिस्तान की भूमिका को बताया ‘कुछ हद तक जिम्मेदार’

नई दिल्ली, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव नई ऊंचाई पर पहुंच गया है। इस बीच, अमेरिका के उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस का बयान वैश्विक कूटनीति के लिहाज से भारत के लिए एक महत्वपूर्ण समर्थन संकेत माना जा रहा है। फ़ॉक्स न्यूज़ पर दिए गए एक इंटरव्यू में वेंस ने कहा कि “हालिया हमले के लिए पाकिस्तान ‘कुछ हद तक जिम्मेदार’ है,” और उम्मीद जताई कि अमेरिका भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करेगा। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि “हमें उम्मीद है कि भारत की प्रतिक्रिया इस हमले के बाद किसी व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष का कारण नहीं बनेगी।” क्या कहा था उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने? “पाकिस्तान ने जिस प्रकार आतंकवादी गतिविधियों को सहारा दिया है, उससे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ी है। हम भारत के साथ इस संकट से निपटने के लिए खड़े हैं, लेकिन हमारी कोशिश रहेगी कि स्थिति नियंत्रण में रहे।” – जेडी वेंस, अमेरिकी उप-राष्ट्रपति भारत के लिए अमेरिका का रुख कितना महत्वपूर्ण है? यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। यह 1960 में हुई एक ऐतिहासिक संधि थी जिसे भारत अब “पुनः समीक्षा” की स्थिति में बता रहा है। अमेरिका का पाकिस्तान को आंशिक रूप से जिम्मेदार ठहराना, वैश्विक समुदाय में भारत के दृष्टिकोण को समर्थन देने वाला संकेत माना जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह पहला मौका है जब अमेरिका के शीर्ष नेतृत्व ने कश्मीर हमले के लिए सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान की भूमिका की ओर इशारा किया है। पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और युद्ध की चेतावनी भारत की सिंधु जल संधि पर कार्रवाई के बाद पाकिस्तान की प्रतिक्रिया बेहद तीखी रही है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि: “पानी रोकने या मोड़ने की कोई भी कोशिश ‘जंग की कार्रवाई’ मानी जाएगी।” भारत के लिए आगे की राह क्या हो सकती है?

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National Herald Case: राहुल-सोनिया की बढ़ीं मुश्किलें, राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने जारी किया नोटिस, अगली सुनवाई 8 मई को

नई दिल्ली,नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी की कानूनी परेशानियां और गहरा गई हैं। दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए दोनों को नोटिस जारी किया है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने यह स्पष्ट किया कि चार्जशीट के संज्ञान पर सुनवाई के दौरान दोनों नेताओं को अपना पक्ष रखने का पूरा अधिकार मिलेगा। मामले की अगली सुनवाई 8 मई को निर्धारित की गई है। चार्जशीट में गंभीर आरोप, करोड़ों की संपत्ति हड़पने का आरोप प्रवर्तन निदेशालय ने हाल ही में कोर्ट में जो आरोपपत्र दाखिल किया है, उसमें कांग्रेस नेतृत्व पर संगठित आपराधिक साजिश के तहत एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को हड़पने का आरोप है। चार्जशीट में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, दिवंगत मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के नाम शामिल हैं। आरोप है कि इन सभी ने मिलकर एक निजी कंपनी यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) के माध्यम से AJL की संपत्तियों को अनुचित तरीके से प्राप्त किया और इसका दुरुपयोग किया। क्या है नेशनल हेराल्ड केस? नेशनल हेराल्ड केस एक हाई-प्रोफाइल मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा मामला है। AJL, जो नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज जैसे समाचार पत्र प्रकाशित करता था, 2008 तक भारी घाटे में चल रही थी और उस पर 90 करोड़ रुपये का कर्ज था। 2010 में यंग इंडियन लिमिटेड का गठन हुआ जिसमें सोनिया और राहुल गांधी की 76% हिस्सेदारी थी। आरोप है कि कांग्रेस पार्टी ने AJL का 90 करोड़ का कर्ज YIL को सिर्फ 50 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिया, जिससे YIL ने AJL की करोड़ों की संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल कर लिया। ED का दावा: मुनाफा कमाने के उद्देश्य से हुई साजिश प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि AJL एक गैर-लाभकारी संस्था थी और इसकी संपत्तियों को व्यावसायिक किराए पर देना (जैसे दिल्ली के हेराल्ड हाउस को पासपोर्ट कार्यालय को देना) गैर-कानूनी है। ED ने अप्रैल 2025 में सोनिया, राहुल और अन्य के खिलाफ चार्जशीट दायर की और 751 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क कीं। कांग्रेस का पलटवार: बताया ‘राजनीतिक बदले’ की कार्रवाई कांग्रेस पार्टी ने ED की कार्रवाई को “राजनीतिक प्रतिशोध” करार दिया है। पार्टी का दावा है कि YIL एक गैर-लाभकारी कंपनी है और इसका उद्देश्य नेशनल हेराल्ड को पुनर्जीवित कर स्वतंत्रता संग्राम की विरासत को आगे बढ़ाना है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बयान जारी करते हुए कहा, “यह भाजपा की सोची-समझी साजिश है ताकि गांधी परिवार को बदनाम किया जा सके।”

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मोदी कैबिनेट का बड़ा फैसला: पूरे देश में होगी जाति जनगणना, गन्ना किसानों के लिए FRP बढ़ाया गया

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को हुई ‘सुपर कैबिनेट’ बैठक में कई ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि मोदी सरकार अब पूरे देश में जाति जनगणना कराएगी। इसके अलावा गन्ना किसानों के हित में भी बड़ा निर्णय लेते हुए गन्ने का FRP ₹355 प्रति क्विंटल कर दिया गया है। 🧬 94 साल बाद पूरे देश में जाति जनगणना 🌾 गन्ना किसानों को राहत: FRP बढ़ाकर ₹355 प्रति क्विंटल 🛣️ नए हाईवे को भी कैबिनेट की मंज़ूरी 🏛️ क्या है सुपर कैबिनेट? 📌 निष्कर्ष: मोदी सरकार के ये फैसले राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से बेहद अहम माने जा रहे हैं। जहां जाति जनगणना सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है, वहीं गन्ना किसानों को मिली राहत और पूर्वोत्तर में हाईवे निर्माण सरकार की विकास योजनाओं को दर्शाते हैं।

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पाकिस्तान की पोल खुली: पहलगाम हमले में शामिल आतंकी हाशिम मूसा निकला पाकिस्तानी पैरा कमांडो

नई दिल्ली – जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के मामले में पाकिस्तान की नापाक साजिश का पर्दाफाश हो गया है। जांच में सामने आया है कि इस हमले का मास्टरमाइंड और प्रमुख हमलावर हाशिम मूसा पाकिस्तान सेना का पूर्व स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) कमांडो है, जिसे बाद में लश्कर-ए-तैयबा से जोड़ दिया गया था। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, मूसा ने इससे पहले गांदरबल और बूटा पथरी में भी आतंकी हमले अंजाम दिए थे। बताया गया है कि पहलगाम हमले से पहले वह सैटेलाइट फोन के जरिए निर्देश ले रहा था, जो उसके पाकिस्तानी सेना और आईएसआई से सीधे संपर्क को दर्शाता है। हमले में पाक सेना और ISI की संलिप्तता के प्रमाण आतंकी मूसा को पाकिस्तान की स्पेशल फोर्स ने ट्रेनिंग देने के बाद लश्कर में भेजा था। इससे साफ हो जाता है कि पाकिस्तान की सेना और जिहादी संगठनों के बीच गहरे संबंध हैं। इस तरह के प्रशिक्षित आतंकियों का इस्तेमाल भारत में असैन्य नागरिकों और सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है। भारत में बढ़ रहा आक्रोश हमले के बाद देशभर में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा चरम पर है। लोग सरकार से कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस हमले में निर्दोष लोगों की बर्बर हत्या की गई, जिससे पूरी दुनिया में पाकिस्तान की साख पर सवाल उठ रहे हैं। रडार पर 14 खूंखार आतंकी भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर में सक्रिय 14 आतंकियों की हिट लिस्ट तैयार की है। इनमें पुलवामा, शोपियां, अनंतनाग और सोपोर के आतंकी शामिल हैं, जिनका सुरक्षाबलों द्वारा जल्द ही खात्मा किया जा सकता है। 📌 मुख्य बिंदु:

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“पाकिस्तान, आईएसआई और एलईटी चाहती है…”, पहलगाम हमले पर बोले असदुद्दीन ओवैसी

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पहलगाम हमले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पाकिस्तान, आईएसआई और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) पर देश में नफरत फैलाने का आरोप लगाया है। रविवार को महाराष्ट्र के परभणी में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा, “पाकिस्तान चाहता है कि भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नफरत बढ़े।” उन्होंने कहा कि ऐसे समय में भारत को एकजुट होकर दुश्मनों को जवाब देना चाहिए, न कि कश्मीरियों के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देना चाहिए। कश्मीरियों के खिलाफ नफरत देश के हित में नहीं ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा, “जब कश्मीर भारत का अटूट हिस्सा है, तो कश्मीरी भी हमारे ही हिस्से हैं। उन पर शक करना गलत है।” उन्होंने आगाह किया कि पाकिस्तान और उसकी एजेंसियां यही चाहती हैं कि भारत के भीतर सामाजिक विभाजन गहरा हो। ऐसे में देशवासियों को चाहिए कि वे एकजुट रहें और दुश्मनों के मंसूबों को नाकाम करें। ओवैसी ने सरकार से अपील की कि वह जो भी जरूरी कार्रवाई उचित समझे, उसे करे, लेकिन देश के भीतर कश्मीरियों के प्रति नफरत फैलाने से बचे क्योंकि यह राष्ट्रहित में नहीं है।

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पहलगाम हमला: उमर अब्दुल्लाह बोले – ‘पीड़ितों से माफ़ी मांगने के लिए शब्द नहीं’, आतंक के खिलाफ एकजुट कश्मीर

जम्मू-कश्मीर:पहलगाम हमले के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने पीड़ितों से गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उनके पास माफ़ी मांगने के लिए भी शब्द नहीं हैं और कोई भी कश्मीरी इस आतंकी हमले के साथ नहीं है। विधानसभा को संबोधित करते हुए उमर अब्दुल्लाह ने कहा, “26 सालों में पहली बार मैंने देखा कि किस तरह लोग स्वेच्छा से बाहर आए हैं। शायद ही कोई गांव या शहर बचा हो जहाँ से लोगों ने इस कृत्य की निंदा न की हो।” मुख्यमंत्री ने कहा कि अब कश्मीर के लोग यह समझ चुके हैं कि आतंकवाद कितना घातक है और इसके खिलाफ आवाज उठाना कितना जरूरी है। उन्होंने आगाह किया कि सरकार को कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे आम जनता का भरोसा टूटे। आतंक के खिलाफ कश्मीरियों का एकजुट संदेश उमर अब्दुल्लाह ने इस बात पर जोर दिया कि बंदूक के बल पर मिलिटेंसी को कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन समाप्त नहीं किया जा सकता। जनता का सहयोग ही इस लड़ाई का असली हथियार है। उन्होंने उन नागरिकों का विशेष धन्यवाद किया जिन्होंने हमले के बाद पर्यटकों और मेहमानों की सहायता की, यह दर्शाते हुए कि असली कश्मीरियत आज भी जिंदा है। विशेष सत्र में हमले की कड़ी निंदा करते हुए एक प्रस्ताव भी पारित किया गया, जिसके बाद विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।

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अटारी-वाघा बॉर्डर के बंद होने से हजारों जिंदगियों पर आफत, रोज़गार पर भी पड़ा गहरा असर

अमृतसर/अटारी:भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के चलते 29 अप्रैल तक अटारी-वाघा बॉर्डर को पूरी तरह से बंद करने का निर्णय लिया गया है। इस फैसले का असर अब आम लोगों की जिंदगी और रोज़गार पर साफ नजर आने लगा है। पिछले चार दिनों में 836 भारतीय नागरिक पाकिस्तान से लौट चुके हैं, जबकि 535 पाकिस्तानी नागरिक भारत छोड़कर वाघा बॉर्डर के रास्ते वापस अपने देश चले गए हैं। हालांकि, अब भी करीब 200 नोरी वीजा धारक वाघा में फंसे हुए हैं, जो भारत लौटने का इंतज़ार कर रहे हैं। इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) पर माहौल बेहद दुखद और वीरान है। रिश्तेदारों का इंतज़ार करते परिवारों की आंखों में चिंता और बेबसी झलक रही है। एक बुजुर्ग महिला ने रोते हुए कहा, “वे सिर्फ़ अपने रिश्तेदारों से मिलने गए थे, उन्हें नहीं पता था कि राजनीति उन्हें इस तरह फंसा देगी।” व्यापार और मजदूरी पर पड़ा गहरा प्रभाव अटारी-वाघा बॉर्डर दक्षिण एशिया के सबसे व्यस्त व्यापारिक गलियारों में से एक रहा है। लेकिन पुलवामा हमले के बाद से दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते लगातार बिगड़ते रहे। पाकिस्तान ने 2019 में भारत से होने वाले सारे व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया था, और अब इस ताजा बंदी से हालात और खराब हो गए हैं। सीमा पर सामान ढोने वाले कुली, ढाबा मालिक और छोटे व्यापारी जो इस रास्ते पर निर्भर थे, अब नए रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं।एक ढाबा मालिक ने कहा, “पहले दिन में 5,000 से 7,000 यात्री आते थे, अब हमारे चूल्हे भी ठंडे पड़ गए हैं।” जनता की अपील स्थानीय लोग और व्यापारी सरकार से मांग कर रहे हैं कि कम से कम अटारी-वाघा परेड जैसी गतिविधियां फिर से शुरू कराई जाएं ताकि इस क्षेत्र में फिर से चहल-पहल लौट सके। यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर लिए गए राजनीतिक फैसलों की सबसे बड़ी कीमत आम लोगों को चुकानी पड़ती है।

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गुजरात: शादी में आए मेहमानों को बांग्लादेशी समझकर उठाया, दस्तावेज़ दिखाने पर छोड़ा

अहमदाबाद:26 अप्रैल को गुजरात के अहमदाबाद में एक अजीबोगरीब घटना सामने आई, जहां शादी समारोह में आए मेहमानों को पुलिस ने बांग्लादेशी नागरिक समझकर उठा लिया। मामला उस समय गरमाया जब फरज़ाना नामक महिला ने क्राइम ब्रांच कार्यालय के बाहर अपने मेहंदी लगे हाथ दिखाते हुए पूरी घटना को मीडिया के सामने रखा। फ़रज़ाना ने बीबीसी गुजराती से बातचीत में बताया, “हमारे घर में शादी थी और बारात आई हुई थी। घर छोटा होने के कारण कुछ बारातियों को चंदोला इलाके में एक रिश्तेदार के यहां ठहराया था। वहीं से पुलिस ने उन्हें ‘बांग्लादेशी’ समझकर हिरासत में ले लिया।” उन्होंने आगे कहा, “उठाए गए लोगों में मेरे बड़े भाई और भतीजे भी शामिल थे, जो अकोला, महाराष्ट्र से आए थे। बिना किसी जांच के उन्हें पकड़ लिया गया। हमें बताया गया कि पूछताछ के बाद छोड़ दिया जाएगा, लेकिन हम सुबह से रात 9 बजे तक भूखे-प्यासे क्राइम ब्रांच के बाहर बैठे रहे।” फ़रज़ाना ने दावा किया कि जब उन्होंने अपने भाई का जन्म प्रमाण पत्र और अन्य सरकारी दस्तावेज़ प्रस्तुत किए, तब जाकर रात 10:30 बजे उन्हें रिहा किया गया। यह घटना उस समय हुई जब गुजरात पुलिस ने ‘संदिग्ध प्रवासियों’ के खिलाफ अभियान चलाया था। फ़रज़ाना ने सवाल उठाते हुए कहा, “अगर कोई विवाद कश्मीर में है तो उसे वहीं सुलझाइए। अहमदाबाद में तो कोई विवाद नहीं, फिर हमारे मेहमानों को क्यों परेशान किया गया?” फ़रज़ाना ने बताया कि उनका परिवार वर्षों से अहमदाबाद के जीतू भगत की चॉल में रह रहा है और उनके सभी दस्तावेज़ सही हैं। प्रमुख बातें:

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