बिलासपुर, छत्तीसगढ़। शहर के सैकड़ों ठेले-खोमचे वालों की रोजी-रोटी पर संकट मंडराने लगा है। प्रशासन ने एक नया आदेश जारी कर सार्वजनिक स्थलों पर ठेले लगाने पर रोक लगा दी है। इसके तहत अब ठेले पर चाय, भजिया, नाश्ता या अन्य खाद्य सामग्री बेचने वालों को दुकान किराए पर लेकर व्यवसाय करने को कहा गया है। इस आदेश से शहर में 1000 से 2000 छोटे व्यापारियों के सामने भविष्य अंधकारमय होता नजर आ रहा है।
20-25 हजार का किराया, आमदनी महज 10-15 हजार
व्यापारियों ने बताया कि दुकान के लिए किराया 20,000 से 25,000 रुपये तक है, जबकि वे ठेले पर बैठकर मुश्किल से 10,000 से 15,000 रुपये महीने कमा पाते हैं। ऐसे में दुकान लेना आर्थिक रूप से असंभव है।
छोटे व्यापारियों ने कहा कि वे सालों से मेहनत कर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं, और यह अचानक लिया गया निर्णय उनके लिए आजीविका पर सीधी मार है।
स्वरोजगार पर चोट, व्यापारी बोले- प्रधानमंत्री भी आत्मनिर्भरता की बात करते हैं
व्यापारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं स्वरोजगार को बढ़ावा देने की बात करते हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन का यह आदेश उनकी मेहनत पर पानी फेर रहा है। वर्तमान में पहले ही बेरोजगारी और महंगाई जैसी समस्याएं हैं, ऐसे में यह फैसला गरीब तबके पर दोहरी मार है।
जिलाधीश को सौंपा ज्ञापन, वैकल्पिक व्यवस्था की मांग
सैकड़ों ठेला व्यापारियों ने संयुक्त रूप से जिलाधीश को ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने निवेदन किया है कि जब तक प्रशासन कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करता, उन्हें ठेले पर व्यवसाय जारी रखने की अनुमति दी जाए। व्यापारियों का तर्क है कि शहर में कई स्थान ऐसे हैं जहाँ ठेले लगाने से यातायात या आम जनता को कोई असुविधा नहीं होती।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही समाधान नहीं निकाला गया, तो विरोध प्रदर्शन की भी नौबत आ सकती है।
गरीबों के रोजगार पर संकट, उम्मीद है प्रशासन लेगा सकारात्मक फैसला
व्यापारियों ने प्रशासन से संवेदनशील और व्यावहारिक निर्णय लेने की अपील की है, ताकि गरीब तबके को सम्मानपूर्वक आजीविका चलाने का मौका मिल सके। यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन अब इस मुद्दे पर मानवता के आधार पर कोई राहत देता है या नहीं।
