रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ट्रकों की फर्जी खरीदी-बिक्री और नकली दस्तावेजों के जरिए करोड़ों की ठगी करने वाले एक आरोपी को पुलिस ने दो साल बाद गिरफ्तार कर लिया है। यह मामला ट्रांसपोर्ट सेक्टर से जुड़ी एक बड़ी धोखाधड़ी का है, जिसमें आरोपी ने बिहार से खरीदे गए ट्रकों पर छत्तीसगढ़ के नंबर प्लेट और फर्जी दस्तावेज लगाकर ठगी की थी।
बिहार के ट्रक, छत्तीसगढ़ की नंबर प्लेट
आरोपी राजेश यदु ने बिहार से 12 सेकंड हैंड ट्रक खरीदकर जगदीश प्रसाद सिंघानिया को बेचे थे। इन सभी ट्रकों की कीमत 17.5 लाख रुपये प्रति ट्रक तय की गई थी और कुल 2 करोड़ 8 लाख रुपये का लेन-देन हुआ था। हालांकि, इन ट्रकों पर छत्तीसगढ़ के फर्जी नंबर प्लेट और नकली दस्तावेज लगाए गए थे, जबकि वे बिहार में रजिस्टर्ड थे।
फर्जी दस्तावेज और नंबर प्लेट से हुआ सौदा
जांच में सामने आया कि ट्रक बेचने की यह साजिश केवल राजेश यदु तक सीमित नहीं थी। उसके साथ मीठू कुमार, धनेश्वरी चौधरी, मृणाल सिंह और अन्य लोग भी शामिल थे। इन सभी ने मिलकर एक संगठित तरीके से ट्रकों के फर्जी रजिस्ट्रेशन कराकर धोखाधड़ी की।
बिहार पुलिस की जांच से हुआ खुलासा
इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में ट्रक चोरी की जांच करते हुए पुलिस रायपुर पहुंची। वहीं से इस मामले की परतें खुलती चली गईं। रायपुर के खमतराई थाना में धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का मामला दर्ज किया गया।
दो साल से फरार था आरोपी
पुलिस की जांच में पहले भी कई आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन मास्टरमाइंड राजेश यदु फरार था। हाल ही में खमतराई पुलिस को राजेश के छिपे होने की सूचना मिली, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
परिवहन विभाग पर भी उठे सवाल
इस केस में परिवहन विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। जिस तरह से बिहार के ट्रकों को छत्तीसगढ़ के नाम से फर्जी रजिस्ट्रेशन मिला, वह प्रशासनिक लापरवाही या मिलीभगत की ओर इशारा करता है। मामले की विस्तृत जांच की जा रही है।
