नई दिल्ली – भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव अपने चरम पर था, जब दोनों देशों ने एक-दूसरे के सैन्य हवाई अड्डों पर हमले और नुक़सान पहुंचाने के दावे किए। इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक ‘संघर्ष विराम’ की घोषणा कर सबको चौंका दिया।
ट्रंप ने शनिवार शाम 5:30 बजे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट करते हुए दावा किया कि यह संघर्ष विराम अमेरिका की मध्यस्थता में ‘रात भर चली बातचीत’ का नतीजा है। उन्होंने लिखा कि अमेरिका ने इस बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और दोनों देशों को शांति बनाए रखने पर सहमत किया।
भारत की ख़ामोशी और डिप्लोमैटिक मायने
अमेरिकी घोषणा के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसहाक़ डार ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इसकी पुष्टि की, और बताया कि अमेरिका, सऊदी अरब और ब्रिटेन सहित 30 से अधिक देशों ने इस कूटनीतिक प्रयास में भाग लिया।
हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम पर भारत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह ख़ामोशी कई रणनीतिक संकेतों की ओर इशारा कर सकती है:
- भारत शायद नहीं चाहता कि संघर्ष विराम का श्रेय बाहरी शक्तियों, खासकर अमेरिका को दिया जाए।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश सचिव स्तर की बातचीत में भारत की आंतरिक प्रक्रिया पहले से चल रही थी।
- भारत की सैन्य और कूटनीतिक रणनीति में स्वायत्तता और नियंत्रण की छवि बनाए रखना प्राथमिकता हो सकती है।
क्या ट्रंप की घोषणा ने बाज़ी मार ली?
भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच हुई बातचीत और दोनों देशों की तीनों सेनाओं द्वारा रविवार को की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही ट्रंप द्वारा संघर्ष विराम की घोषणा कर दी गई थी। इससे यह भी सवाल उठने लगे हैं कि क्या अमेरिका ने जानबूझकर भारत-पाक संबंधों में अपनी भूमिका को ज़ोर-शोर से प्रचारित किया?
विश्लेषकों के अनुसार, ट्रंप द्वारा यह घोषणा 2024 में शुरू हुए उनके चुनावी प्रचार का हिस्सा भी हो सकती है, जिसमें वह खुद को वैश्विक शांति के ‘डील मेकर’ के रूप में पेश कर रहे हैं।
