राहुल गांधी ने पूछा- ‘ट्रंप को भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने के लिए किसने कहा?’

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए चार दिवसीय संघर्ष और संघर्षविराम समझौते पर सियासत गर्मा गई है। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के एक इंटरव्यू को साझा करते हुए तीन तीखे सवाल दागे हैं।


राहुल गांधी ने उठाए तीन सवाल

राहुल गांधी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो साझा किया है, जिसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर भारत-पाकिस्तान संघर्ष को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इसी वीडियो के साथ राहुल गांधी ने लिखा:

  1. भारत को पाकिस्तान के साथ क्यों जोड़ा गया है?
  2. पाकिस्तान की निंदा करने में एक भी देश ने हमारा साथ क्यों नहीं दिया?
  3. ट्रंप को भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने के लिए किसने कहा?

क्या है मामला?

बता दें कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमले के बाद भारत ने छह और सात मई की दरमियानी रात पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम से हवाई हमले किए। इसके बाद पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए सीमावर्ती इलाकों में गोलाबारी की और ड्रोन व मिसाइल हमले किए।

इस संघर्ष के बीच 10 मई को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम समझौता हो गया है, और अमेरिका ने इसमें मध्यस्थ की भूमिका निभाई।


ट्रंप के बयान पर उठा विवाद

राहुल गांधी ने सवाल खड़ा किया है कि भारत सरकार ने ट्रंप को इस संघर्ष में मध्यस्थता की भूमिका निभाने की अनुमति कब दी? यह सवाल इसलिए भी अहम हो गया है क्योंकि भारत हमेशा से कश्मीर और पाकिस्तान से जुड़े मामलों को द्विपक्षीय बताता रहा है, और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज करता रहा है।


कूटनीतिक सवालों में फंसी सरकार

राहुल गांधी के इन सवालों ने सरकार को कूटनीतिक और राजनीतिक रूप से कटघरे में खड़ा कर दिया है। विपक्ष जानना चाहता है कि यदि भारत की तरफ से किसी औपचारिक सहमति के बिना अमेरिका ने मध्यस्थता की, तो सरकार ने इस पर आपत्ति क्यों नहीं जताई?


अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति पर भी उठे सवाल

राहुल गांधी द्वारा पूछा गया यह सवाल भी अहम है कि पाकिस्तान की निंदा करने में कोई देश भारत के साथ क्यों नहीं आया? क्या भारत का अंतरराष्ट्रीय समर्थन कमजोर हुआ है? यह सवाल भारत की विदेश नीति और वैश्विक कूटनीति पर भी गहराई से सोचने को मजबूर करता है।


क्या सरकार देगी जवाब?

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरकार राहुल गांधी के इन सवालों का जवाब देगी, और यदि हां, तो क्या वह अमेरिका और ट्रंप के दावे को खारिज करेगी या उसे स्वीकार करेगी। फिलहाल इस मामले पर विदेश मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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