भारत की कला और संस्कृति का इतिहास जितना समृद्ध है, उतना ही अद्भुत है उन कलाकारों का सफर जिन्होंने अपनी कूची से पौराणिक कथाओं को जीवंत बना दिया। 19वीं सदी के महान चित्रकार राजा रवि वर्मा ऐसे ही एक नाम हैं, जिनकी कला ने न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में लोगों को मंत्रमुग्ध किया। शाही परिवार में जन्मे कलाकार
राजा रवि वर्मा का जन्म 1848 में त्रावणकोर के शाही परिवार में हुआ था। राजसी पृष्ठभूमि के बावजूद उनका मन राजकाज में नहीं, बल्कि रंगों और कल्पना की दुनिया में रमता था। उन्होंने भारतीय पौराणिक कथाओं को चित्रों के माध्यम से पहली बार आमजन तक पहुंचाया। देवी-देवताओं की जो छवियां आज हमारे मन में हैं, उनमें से कई की नींव राजा रवि वर्मा ने ही रखी थी।
पेंटिंग की ऐतिहासिक बोली
राजा रवि वर्मा की पेंटिंग्स की लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी एक पेंटिंग उनकी मृत्यु के 100 साल बाद 20 करोड़ रुपये से अधिक में बिकी। उनकी कला की यह वैश्विक मान्यता यह दिखाती है कि भारतीय चित्रकला का प्रभाव समय और सीमाओं से परे है।
रणदीप हुड्डा बने पर्दे के ‘रवि वर्मा’
साल 2014 में रिलीज हुई फिल्म ‘रंग रसिया’ में अभिनेता रणदीप हुड्डा ने राजा रवि वर्मा का किरदार निभाया था। फिल्म को केतन मेहता ने निर्देशित किया था और इसमें राजा रवि वर्मा के जीवन, उनकी कला और उनके सामाजिक संघर्षों को बेहतरीन ढंग से चित्रित किया गया था। हालांकि फिल्म दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचने में असफल रही, लेकिन रणदीप की एक्टिंग को काफी सराहना मिली।
कला और विवाद
राजा रवि वर्मा ने जब हिंदू देवी-देवताओं की छवियों के साथ-साथ महिलाओं के नारीत्व को चित्रों में दिखाना शुरू किया, तो समाज के एक वर्ग ने उनकी आलोचना की। लेकिन उन्होंने अपनी कला से पीछे हटने के बजाय समाज के सोच को बदलने का काम किया।
