अमेरिका का बड़ा कदम: चिप, दवाओं के आयात की जांच शुरू, जल्द टैरिफ बढ़ाने का फैसला संभव

अमेरिका ने वैश्विक व्यापार में एक अहम मोड़ लेते हुए कंप्यूटर चिप्स, दवा संबंधी उत्पादों और उन्हें बनाने वाले उपकरणों के आयात की औपचारिक जांच शुरू कर दी है। इस पहल का मकसद राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताओं को दूर करना और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है।

🔍 तीन सप्ताह में जनता से मांगी गई राय

अमेरिकी वाणिज्य मंत्रालय ने सोमवार देर रात संघीय रजिस्टर में नोटिस जारी किया, जिसमें बताया गया कि जांच के तहत सरकार तीन सप्ताह के भीतर जनता से प्रतिक्रिया मांगेगी। यह प्रक्रिया 1962 के व्यापार विस्तार अधिनियम की धारा 232 के अंतर्गत की जा रही है, जो राष्ट्रपति को राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर आयात पर टैरिफ लगाने का अधिकार देता है।

💬 ट्रंप ने दिए थे संकेत, टैरिफ योजना जारी

हालांकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन सहित अन्य देशों से आयात पर शुल्क बढ़ाने की योजना पर अस्थायी रूप से 90 दिनों की रोक लगाई है, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि दवाओं, लकड़ी, तांबे और चिप्स पर शुल्क लगाने की योजना अभी भी प्रासंगिक है।

🛡️ राष्ट्रीय सुरक्षा और घरेलू उत्पादन प्राथमिकता

वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि यह जांच उन उत्पादों पर केंद्रित है जो कंप्यूटर चिप्स के निर्माण में उपयोग होते हैं — जैसे कि कार, रेफ्रिजरेटर, स्मार्टफोन, आदि में इस्तेमाल होने वाले हिस्से। सरकार का मानना है कि इन क्षेत्रों में अत्यधिक आयात राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल सकते हैं।

🚗 ट्रंप ने वाहनों पर शुल्क टालने के दिए संकेत

ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए ट्रंप ने कहा कि वह वाहनों और उनके पुर्जों पर लगाए गए 25% शुल्क को अस्थायी रूप से टालने पर विचार कर रहे हैं। उनका तर्क है कि इससे कार कंपनियों को आपूर्ति श्रृंखला समायोजित करने का समय मिलेगा।

उन्होंने कहा, “मैं कुछ कार कंपनियों की मदद करने के बारे में सोच रहा हूं। उन्हें उत्पादन को कनाडा, मैक्सिको या अन्य जगहों पर ले जाने के लिए समय चाहिए।”

🏭 उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

अमेरिकन ऑटोमोटिव पॉलिसी काउंसिल के अध्यक्ष मैट ब्लंट ने कहा कि ट्रंप प्रशासन के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लक्ष्य से वे सहमत हैं, लेकिन व्यापक शुल्क से विकासशील वाहन उद्योग को नुकसान भी हो सकता है।

📉 बाजार पर असर

ट्रंप के बयानों से अमेरिकी वित्तीय बाजारों में हलचल देखी जा रही है। वॉल स्ट्रीट पर मंदी की आशंका बढ़ रही है, क्योंकि व्यापार में अनिश्चितता का सीधा असर निवेश और उत्पादन पर पड़ता है।


📌 निष्कर्ष: अमेरिका का यह कदम सिर्फ आयात नीतियों में बदलाव नहीं है, बल्कि यह आने वाले चुनावों और आर्थिक रणनीतियों का भी संकेत है। इससे वैश्विक व्यापार, भारत सहित अन्य देशों के लिए भी नई चुनौतियाँ और अवसर पैदा हो सकते हैं।

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